क्या है नेफ्था स्कैम, जिसमें कोर्ट ने दो दोषियों को सुनाई जेल की सजा, कंपनी पर भी ठोका जुर्माना

क्या है नेफ्था स्कैम, जिसमें कोर्ट ने दो दोषियों को सुनाई जेल की सजा, कंपनी पर भी ठोका जुर्माना


Naphtha Scam Case: सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने हरियाणा के पंचकूला में दो आरोपियों को अवैध रूप से नेफ्था के गबन के मामले में 2 से 3 साल की कठोर कैद (RI) और कुल 75 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.

विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई) ने आरोपी अतुल जिंदल को 3 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना, जबकि संजय कुमार उर्फ संजय मित्तल को 2 साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया. इसके अलावा, आरोपी कंपनी मेसर्स श्री हरि प्रमोटर्स लिमिटेड पर भी 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.

क्या है पूरा मामला?

सीबीआई ने यह मामला 27 अक्टूबर 2003 को दर्ज किया था. गुजरात हाईकोर्ट के निर्देश पर हुई प्रारंभिक जांच के बाद खुलासा हुआ कि मेसर्स श्री हरि प्रमोटर्स लिमिटेड के निदेशक संजय जिंदल और अन्य अज्ञात व्यक्तियों ने मिलकर बड़े पैमाने पर आयातित नेफ्था का गबन किया. आरोपियों ने इसे कृषि उत्पादों के निर्माण के लिए आयात किया था, लेकिन इसे गलत तरीके से दूसरी जगह बेच दिया.

कैसे हुआ गबन?

जांच में सामने आया कि आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (DFSC), आबकारी विभाग और बिक्री कर विभाग को नकली एंड-यूज़ सर्टिफिकेट (End-Use Certificates) जमा किए. इसके अलावा, उन्होंने कंपनी में डमी डायरेक्टर (फर्जी निदेशक) नियुक्त कर रखे थे, ताकि खुद को बचाया जा सके.

सीबीआई जांच और कोर्ट का फैसला

सीबीआई ने 16 अगस्त 2005 को आरोप पत्र दाखिल किया. अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद आरोपियों को धोखाधड़ी, जालसाजी और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत दोषी करार दिया.

कोर्ट ने आरोपियों को धारा 120बी, 465, 471 आईपीसी और आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 7, 9, 10 एवं नाफ्था (अधिग्रहण, बिक्री, भंडारण और ऑटोमोबाइल में उपयोग की रोकथाम) आदेश, 2000 की धारा 3(5) के तहत दोषी मानते हुए यह सजा सुनाई.

क्या है नेफ्था और क्यों होता है इसका गलत इस्तेमाल?

नेफ्था एक ज्वलनशील पदार्थ है, जिसका इस्तेमाल पेट्रोलियम उद्योग, केमिकल निर्माण और कृषि उत्पादों में किया जाता है. हालांकि, कुछ कारोबारी इसे कालाबाजारी के जरिए अवैध रूप से बेचकर मुनाफा कमाते हैं. इस मामले में भी आरोपियों ने आयातित नेफ्था को सस्ते दाम पर खरीदा और फर्जी रिकॉर्ड बनाकर इसे बाजार में ऊंचे दामों पर बेच दिया, जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ.

सीबीआई का कड़ा रुख

सीबीआई ने साफ किया है कि इस तरह के आर्थिक अपराधों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. यह फैसला उन लोगों के लिए एक चेतावनी है, जो फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं.

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