कच्चे तेल की सप्लाई, न्यूक्लियर प्लांट और स्पेस सेक्टर में मदद… पुतिन के दौरे से भारत को क्या

कच्चे तेल की सप्लाई, न्यूक्लियर प्लांट और स्पेस सेक्टर में मदद… पुतिन के दौरे से भारत को क्या



रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत दौरा खत्म कर शुक्रवार (5 दिसंबर 2025) को मॉस्को के लिए रवाना हो गए. विदेश मंत्री एस जयशंकर एयरपोर्ट पर मौजूद रहे और उन्होंने पुतिन को औपचारिक रूप से विदा किया. पुतिन का ये दौरा कई मायनों में भारत के लिए अहम माना जा रहा है. इस मुलाकात का मकसद रक्षा, व्यापार, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग जैसे अहम क्षेत्रों में साझेदारी को और मजबूत करना था.

किन समझौतों पर बनी सहमति

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान व्यापक की. विदेश मंत्रालय ने बताया कि दोनों देशों के बीच ट्रेड और कॉमर्स, कोऑपरेशन और माइग्रेशन, हेल्थकेयर और मेडिकल एजुकेशन, फूड सेफ्टी और स्टैंडर्ड्स, पोलर शिप्स और मैरीटाइम कोऑपरेशन और फर्टिलाइजर पर अहम समझौते हुए हैं.

न्यूक्लियर रिएक्टर्स की डील से क्या फायदा होगा?

रूस ने ऐलान किया कि वह भारत को कच्चा तेल, नैचुरल गैस, रिफाइनिंग पेट्रोकेमिकल और न्यूक्लियर क्षेत्र में सप्लाई जारी रखेगा. इससे साफ है कि पश्चिम देशों के दवाब के बावजूद दोनों देशों के बीच एनर्जी सेक्टर में सहयोग बढ़ सकता है. भारत के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा ऐलान सिविल न्यूक्लियर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर हुआ. भारत में वर्तमान में अधिकतर जगहों पर कोयल से बिजली बनाई जाती है. न्यूक्लियर रिएक्टर प्लांट्स लगने के बाद 2047 तक इससे 100 गीगावाट बिजली बनाने के अपने लक्ष्य को पूरा कर सकता है.

पुतिन ने कहा, “हम बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन का बिना रुकावट शिपमेंट जारी रखने के लिए तैयार हैं. हम कुडनकुलम में भारत का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट बनाने के लिए एक फ्लैगशिप प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. छह में से दो रिएक्टर यूनिट पहले से ही ग्रिड से जुड़ी हुई हैं, जबकि चार और बन रही हैं. इस प्लांट को पूरी क्षमता में लाने से भारत की ऊर्जा जरूरतों में एक बड़ा योगदान मिलेगा. इससे उद्योगों और घरों को सस्ती बिजली मिलेगी.”

रूसी राष्ट्रपति ने कहा, “हम अपने भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर नए इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक रूट बनाने पर काम कर रहे हैं, जिसमें रूस और बेलारूस से हिंद महासागर तक इंटरनेशनल उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर शामिल है. इस कॉरिडोर के विस्तार से द्विपक्षीय के बड़े मौके हैं, जिसमें इसका मुख्य लिंक, नॉर्दर्न सी रूट भी शामिल है.”

फ्री ट्रेड डील पर तेजी लाने पर सहमति

बैठक के बाद जारी ज्वाइंट स्टेटमेंट में कहा गया कि दोनों नेताओं ने भारत और यूरेशियाई आर्थिक संघ के बीच वस्तुओं के मुक्त व्यापार समझौते के लिए जारी प्रयासों को तेजी से आगे बढ़ाने की सराहना की. दोनों पक्षों को निवेश संवर्धन एवं संरक्षण पर परस्पर लाभकारी समझौते के लिए प्रयास तेज करने का भी निर्देश दिया. भारत और यूरेशियाई आर्थिक क्षेत्र (ईएईयू) ने पिछले हफ्ते नई दिल्ली में फ्री ट्रेड डील के लिए पहले दौर की बातचीत की थी. भारत और पांच देशों वाले इस समूह ने 20 अगस्त को समझौते के लिए संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किए थे.

रूस, आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान ईएईयू के सदस्य हैं. बयान में कहा गया कि मोदी और पुतिन ने भारत से रूस को निर्यात बढ़ाकर द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित करने और टिकाऊ ढंग से बढ़ाने पर सहमति जताई. दोनों पक्षों ने शुल्क और गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को दूर करने, लॉजिस्टिक में अड़चनों को हटाने, संपर्क बढ़ाने, भुगतान व्यवस्था को सुगम बनाने तथा बीमा-पुनर्बीमा के मुद्दों का परस्पर स्वीकार्य समाधान निकालने पर जोर दिया.

स्पेस, AI के क्षेत्र में रूस करेगा मदद

पुतिन ने कहा, “पिछले कुछ सालों में आपने हमारे रिश्ते को बेहतर बनाने के लिए बहुत काम किया है. हम हाई-टेक एयरक्राफ्ट, स्पेस एक्सप्लोरेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) समेत सहयोग के लिए और भी क्षेत्र खोल रहे हैं.”

दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर (9 लाख करोड़ रुपये) तक ले जाने का ऐलान किया है. वर्तमान में दोनों देशों के बीच 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का सालाना व्यापार होता है. दोनों देशों के बीच साथ मिलकर हथियार बनाने को लेकर भी सहमति बनी है. इसके तहत भारत भारत मेक इन इंडिया के तहत रिसर्च एंड डेवलपमेंट, को-डेवलपमेंट और को-प्रोडक्शन पर जोर देगा.

.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *